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Thursday, March 26, 2020

Sacchii Baatein || sachi batein fb || कड़वी मगर सच्ची बातें

हमारे इस ज़माने में 
अक्सर वक़्त गुजर जाता है 
हमे समझने और समझाने में @

2. 
ना में तुम्हारा था 
ना कभी तुम मेरे थे 
और ना तुम किसी के हुए 
और 
ना ही आज तक में किसी का हो पाया @

3. 
अब भी नहीं बदली आदतें 
उसकी 
पहले जुल्फों से खेलती थी 
अब दिल से खेलती है 
पहले नजरों से घायल करती थी
अब 
वार खंजर से करती है @

4. 
कोई जिस्म की चाहत रखता है 
ओर 
तो कोई पहना महोबत करता है 
खता हमसे भी हुई 
जो तेरी रूह से प्यार कर बैठे 
वरना तुमसे भी हसीन चहेरे 
मेरी नजर में थे @

5. 
पास बुलाती है आँखे तुम्हारी 
कभी तुम भी हमे अपने 
पास बुला लिए करो 
नजरों से करते हो 
इश्क़ का इजहार तुम 
कभी जुबा से भी इकरार कर दिए करो @

6. 
हम तो रोज ही आते है गली 
में तुम्हारी तुम भी कभी 
तुम भी कभी हमारी महफ़िल 
को सजाओ तो जाने 
हमें तो हर वक़त रहता है ख्याल आपका 
कभी आप हमारे लिए बेचैन हो तो 
जाने @

7. 
कौन कहता है की इश्क़ सिर्फ 
चेहरे से होता है 
मेरे मेहबूब से मिलो गए तो 
तुम्हें भी महोबत की 
वजह का एहसास होगा @


8. 
दूर जाते देख कर भी 
में उसे पुकार न सका 
महोबत तो थी मगर 
वो आसमान ओर में ज़मीन 
इश्क़ अधूरा सा लगा 
मुझे तेरा मेरा @


9. 
करके इशारे नजरों से
तूने महोबत का इस कदर 
इजहार किआ 
भरी महफ़िल में बात चली जब मेरी 
तूने सरे आम मेरी महोबत से इंकार 
कर दिया @


10. 
कई आशिक़ बदले थे 
उसने मेरे जाने के बाद 
तन्हाई में बेठ के रोटी थी 

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